सोशल मीडिया के जमाने में खबरें ट्रेन की रफ्तार से हर जगह पहुंच जाती है एक से दूसरे तक और दूसरे से सारे देश तक, खबरें अपना विस्तार कर लेती हैं।
खबरों के इस जाल में वे खबरें भी पोषण पा जाती है जिनका कोई वजूद नहीं होता या जिनमे तथ्यात्मक त्रुटि का समावेश होता हैं।
तो कहीं बार सच्ची और ज्ञानवर्धक खबरें आपसे दूर ही रह जाती हैं, सही व सटीक खबरों से एक और लोगो को अप्रत्याशित फायदा होता है तो दूसरी तरफ गलत व मिथ्यात्मक खबरों से कई लोगों को नुकसान भी हो सकता है।
जब गलत खबर से लोगों को नुकसान होता है तो उनका खबरों पर से भरोसा उठने लगता है।
हमारे अनुसार खबरें लोगों के जीवन को बेहतर बनाते हुआ उनके जीवन को बदलने की ताकत रखती है जब न्यूज वेबसाइट पूरी तरह से निष्पक्ष होकर, इधर उधर झुके बिना, सीना चौड़ा कर अपने आर्टिकल्स में सच का सुर पिरोकर लोगों को बेहतर कंटेंट देती हैं तो वह पाठकों का दिल जीत लेती हैं।
हम इसी उद्देश्य के साथ काम करने की ललक रखते हैं तथा हमारा हर प्रयास पाठकों के दिलों को जीतने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
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हमारी कहानी :
हमारी कहानी बहुत खास है ऐसा भी नहीं हैं एक सामान्य सी और थोड़ी मार्मिक कहानी है हमारी
एक दोपहरी में बस में सफर करते हुए मैं खिड़की से आ रही ठंडी हवा का आनंद ले रहा था देख रहा था कुदरत की कलाकृतियां तभी अचानक से बस कुछ सेकेंड के लिए रुकी और फिर दोबारा चल पड़ी, दरअसल एक बुजुर्ग और उनका 18 साल का बेटा दोनों बस में चढ़े थे ।वे दोनों धीमे कदमों से माथे पर सिकंद लेकर चल रहे थे ऐसा प्रतीत हो रहा था की कुछ समय पहले ही उनके साथ
कुछ ऐसा घटित हुआ जो उनकी इस पीड़ा का कारण हैं, मेरे पास की सीट पकड़कर वे दोनों बैठ गए और शायद वे मन ही मन कुछ हिसाब लगा रहे थे।
मेरे मन में लगातार प्रश्न बन रहे थे और जरूरी था इन प्रश्नों का उत्तर। मैंने उस लड़के से इसके बारे में पूछा तो शुरू में तो उसने कोई खास जवाब दिया नहीं लेकिन कुछ ही पल बाद वो अपना दर्द हलका करने के लिए मुझसे बात करने को आया।
बातचीत में पता चला की बीते वर्ष ही उसने 12वीं की परीक्षा में 81% अंक हासिल किए हैं लेकिन इतने अच्छे अंक मिलने के बावजूद भी उसे कोई कॉलेज नहीं मिल रही हैं, दरअसल वो शिक्षक बनना चाहता हैं इसलिए उसने b.ed (B.A B.ED) कोर्स करने के लिए इसकी प्रवेश परीक्षा दी थीं जिसमें उसे 411/600 अंक मिले।
अब उसे काउंसलिंग करवानी थी जिसमें उसे अपनी मनपसंद कॉलेज भरनी थी लेकिन सोशल मीडिया पर काउंसलिंग की तारीख 15 जून से 7 जुलाई बताई जा रही थी इसलिए उसने इन तारीकों का इंतजार किया अब जब 15 जून की तारीख आई तब वह काउंसलिंग करवाने के लिए गया तो उसे पता चला की काउंसलिंग को हुए 7 दिन बीत चुके हैं और अब किसी भी तरह से उसकी काउंसलिंग नहीं हो सकती हैं वहीं दूसरी तरफ उसे B.A में भी प्रवेश नहीं मिल सकता क्योंकि सभी कॉलेज में एडमिशन हो चुके हैं।
कड़वा सच यह था की सोशल मीडिया पर फैली भ्रामक जानकारी ने उस 18 साल के किसान के बेटे के जीवन का 1 साल निगल लिया था।
यही एक छोटी सी कहानी हमारे ‘दर्पण समाचार हिंदी’ का आधार बनी, कोई तो हो जो भ्रामक जानकारी का पर्दाफाश कर सटीक जानकारी को पेश करें।
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